जनपद रुद्रप्रयाग में स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर में दक्षिण भारत के शिवाचार्यो ने की 108 बालमपुरी शंख पूजा, उमड़ा श्रद्धा का सैलाब।
जनपद रुद्रप्रयाग में स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर में दक्षिण भारत के शिवाचार्यो ने की 108 बालमपुरी शंख पूजा, उमड़ा श्रद्धा का सैलाब।
(Tehelka uk न्यूज)
रुद्रप्रयाग । जनपद रुद्रप्रयाग में उत्तर भारत का प्रतिष्ठित एवं प्राचीन मंदिरों में शामिल, क्रौंच पर्वत चोटी पर स्थित भगवान कार्तिकेय को समर्पित कार्तिक स्वामी मंदिर में आज दक्षिण भारत और उतर भारत की धार्मिक, सांस्कृतिक ऊर्जा से ओतप्रोत धार्मिक आयोजन किया गया।
आपको बता दें कि कार्तिकेय भगवान के मंदिर परिसर में 108 बालमपुरी शंखों की विशेष पूजा एवं हवन विधिपूर्वक संपन्न किया गया, जिसने न केवल श्रद्धालुओं को दिव्य आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया, बल्कि देश की सांस्कृतिक एकता का भी प्रेरणादायक प्रतीक प्रस्तुत किया। यह आयोजन उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद, जिला प्रशासन रुद्रप्रयाग एवं कार्तिक स्वामी मंदिर समिति के संयुक्त प्रयासों से सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में उत्तराखंड सहित देश के विभिन्न राज्यों से हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
कार्यक्रम की विशेषता यह रही कि इसमें तमिलनाडु राज्य के छह प्रमुख मंदिरों के प्रतिष्ठित शिवाचार्य विशेष रूप से सम्मिलित हुए। इन प्रमुख मठों में माईलम एथेनम, कूनमपट्टी एथेनम, कौमारा मुथ्त एथेनम, श्रृंगेरी मठ जैसे मंदिर शामिल थे। इन शिवाचार्यों ने उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक विरासत को एक सूत्र में पिरोते हुए न केवल शंख पूजा व वैदिक हवन अनुष्ठान सम्पन्न कराए, बल्कि स्थानीय परंपराओं के साथ भी आत्मीय संवाद स्थापित किया।
केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल ने कहा कि कार्तिक स्वामी मंदिर को धार्मिक पर्यटन के दृष्टिकोण से एक मॉडल स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने मंदिर तक पहुँच मार्ग, पार्किंग, धर्मशाला, शौचालय एवं पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं के शीघ्र निर्माण की घोषणा की। साथ ही मंदिर को राष्ट्रीय धार्मिक धरोहर के रूप में विकसित करने की आवश्यकता भी बताई।
कौशल विकास सचिव रवि शंकर ने कहा कि यह भव्य आयोजन लगातार तीसरे वर्ष आयोजित किया गया है। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर दक्षिण भारत के कार्तिक स्वामी मंदिरों एवं क्रौंच पर्वत स्थित मंदिर के वस्त्रों का पारंपरिक आदान-प्रदान हुआ। 108 बालमपुरी शंख पूजा के आयोजन से यहां का धार्मिक पर्यटन तीन गुना बढ़ा है। भविष्य में मंदिर को रोपवे योजना से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है, साथ ही तीन किलोमीटर लंबे पैदल मार्ग पर सुविधाओं का विस्तार भी किया जा रहा है।
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